भाग-1 पैदल यात्रा लमडल झील वाय गजपास (4470मीटर)
मित्रों, जय हिंद......... लो, मैं फिर से आ गया हूँ..... अपनी एक और साहसिक व रोमांचक यात्रा की चित्र-कथा ले कर......... और मेरा दावा हैं, जिन्होनें ने भी मेरी इस धारावाहिक चित्र-कथा की एक किस्त पढ़ ली, वह अगली किस्त का इंतजार जरूर करेंगे, जी................
दोस्तों, इस बार की धारावाहिक चित्र-कथा....... 24अगस्त 2015 को शुरू की, मेरी "लमडल पदयात्रा "(हिमाचल प्रदेश) से हैं.....लमडल झील( समुद्र तट से 3900मीटर ) हिमालय की इक्कीस पहाडों वाली बाहरी पर्वतश्रृंखला "धौलाधार" में सबसे बड़ी और लम्बी...... भगवान शिव जी की पवित्र एक झील हैं, जिस तक मैं एक कठिन तथा दुर्गम रास्ते, गज पास(4470मीटर) नामक ग्लेशियर पहाड को पार कर पहुंचा........
दोस्तों, जैसा कि आप मे से बहुत मित्र जानते हैं कि, मेरी ट्रैकिंग यात्राओं में मेरे साथी, मेरे साढूं साहिब विशाल रतन जी हमेशा साथ होते हैं..... परन्तु इस बार परिस्थितियां मेरा साथ नहीं दे रही थी, बदकिस्मती से विशाल रतन जी इस ट्रैक पर मेरा साथ देने में असमर्थ थे, जबकि मैं इस ट्रैक पर जाने के लिए आतुर था और चाहता था, कि वे मेरे साथ चले.... परन्तु वे अपनी नई बदली हुई नौकरी की कार्य व्यवस्था की वजह से मेरे साथ नही जा पा रहे थे, तो मेरा हौसला कुछ-कुछ टूट सा रहा था, क्योंकि ट्रैकिंग के मामले में दोनों में बहुत तालमेल हैं........
और अब मैं अकेला ही रह गया था, परन्तु मैं जाना चाहता था..... क्योंकि अकेले होने की वजह से एक अजीब सा डर मेरे अंदर पैदा हो गया था........ फेसबुक पर रोज आ रहे पहाडों के चित्र, जिन्हें मैं बहुत प्यार करता हूँ..... मुझे अब डरा रहे थे और मेरा हौसला व मेरा अात्मविश्वास कमजोर हो रहा था, मेरे भीतर ही मेरा खुद से ही युद्ध चल रहा था..... "आत्मविश्वास और डर के बीच" ........और मैं हारना नहीं चाहता था, सो अकेले जाने का फैसला कर लिया, परन्तु मेरे घरवालें मुझे वहां अकेले नहीं जाने दे रहे थे, बहुत कोशिश की....... कोई और साथी मिल जाए, परन्तु निराशा ही हाथ लगी........
अंतत: मेरा बीस वर्षीय भाई ऋषभ नारदा मेरे साथ चलने के लिए तैयार हो गया और घर वालों को भी संतोष हुआ कि चलो, दो भाई साथ जा रहे हैं, मेरे पास बस मेरे योग्य ही ट्रैकिंग सम्बन्धी गेयर या उपकरण थे, सो ऋषभ के लिए स्थानीय बाजार से कुछ ट्रैकिंग जुगाडूं सामान खरीदा...........
आखिर 24अगस्त 2015सुबह साढे चार बजे गाडी ले कर हम दोनों लमडल के लिए रवाना हो गए, परन्तु मुझे लमडल तक जाने का सही रास्ता मालूम नहीं था, बस इंटरनेट से एक चित्र लिया था, जिस पर ट्रैक का नक्शा बना था, जोकि धर्मशाला(हिमाचल प्रदेश) से आगे तरूड हो कर लमडल झील तक जाता था.......... और मुझे यह भी पता था कि एक और रास्ता धर्मशाला से करेरी गांव.... से भी शुरू हो कर करेरी झील से होते हुए, लमडल झील के लिए जाता हैं .............. जमी हुई करेरी झील तक पहुंचने की नाकामयाब कोशिश मैं और विशाल रतन जी 31दिसम्बर 2012 को कर चुके थे....... सो करेरी झील तक के ट्रैक की थोड़ी जानकारी होने से करेरी गांव तक पहुंचने का निश्चय कर चल दिए................
................... (क्रमश:)
मित्रों, जय हिंद......... लो, मैं फिर से आ गया हूँ..... अपनी एक और साहसिक व रोमांचक यात्रा की चित्र-कथा ले कर......... और मेरा दावा हैं, जिन्होनें ने भी मेरी इस धारावाहिक चित्र-कथा की एक किस्त पढ़ ली, वह अगली किस्त का इंतजार जरूर करेंगे, जी................
दोस्तों, इस बार की धारावाहिक चित्र-कथा....... 24अगस्त 2015 को शुरू की, मेरी "लमडल पदयात्रा "(हिमाचल प्रदेश) से हैं.....लमडल झील( समुद्र तट से 3900मीटर ) हिमालय की इक्कीस पहाडों वाली बाहरी पर्वतश्रृंखला "धौलाधार" में सबसे बड़ी और लम्बी...... भगवान शिव जी की पवित्र एक झील हैं, जिस तक मैं एक कठिन तथा दुर्गम रास्ते, गज पास(4470मीटर) नामक ग्लेशियर पहाड को पार कर पहुंचा........
दोस्तों, जैसा कि आप मे से बहुत मित्र जानते हैं कि, मेरी ट्रैकिंग यात्राओं में मेरे साथी, मेरे साढूं साहिब विशाल रतन जी हमेशा साथ होते हैं..... परन्तु इस बार परिस्थितियां मेरा साथ नहीं दे रही थी, बदकिस्मती से विशाल रतन जी इस ट्रैक पर मेरा साथ देने में असमर्थ थे, जबकि मैं इस ट्रैक पर जाने के लिए आतुर था और चाहता था, कि वे मेरे साथ चले.... परन्तु वे अपनी नई बदली हुई नौकरी की कार्य व्यवस्था की वजह से मेरे साथ नही जा पा रहे थे, तो मेरा हौसला कुछ-कुछ टूट सा रहा था, क्योंकि ट्रैकिंग के मामले में दोनों में बहुत तालमेल हैं........
और अब मैं अकेला ही रह गया था, परन्तु मैं जाना चाहता था..... क्योंकि अकेले होने की वजह से एक अजीब सा डर मेरे अंदर पैदा हो गया था........ फेसबुक पर रोज आ रहे पहाडों के चित्र, जिन्हें मैं बहुत प्यार करता हूँ..... मुझे अब डरा रहे थे और मेरा हौसला व मेरा अात्मविश्वास कमजोर हो रहा था, मेरे भीतर ही मेरा खुद से ही युद्ध चल रहा था..... "आत्मविश्वास और डर के बीच" ........और मैं हारना नहीं चाहता था, सो अकेले जाने का फैसला कर लिया, परन्तु मेरे घरवालें मुझे वहां अकेले नहीं जाने दे रहे थे, बहुत कोशिश की....... कोई और साथी मिल जाए, परन्तु निराशा ही हाथ लगी........
अंतत: मेरा बीस वर्षीय भाई ऋषभ नारदा मेरे साथ चलने के लिए तैयार हो गया और घर वालों को भी संतोष हुआ कि चलो, दो भाई साथ जा रहे हैं, मेरे पास बस मेरे योग्य ही ट्रैकिंग सम्बन्धी गेयर या उपकरण थे, सो ऋषभ के लिए स्थानीय बाजार से कुछ ट्रैकिंग जुगाडूं सामान खरीदा...........
आखिर 24अगस्त 2015सुबह साढे चार बजे गाडी ले कर हम दोनों लमडल के लिए रवाना हो गए, परन्तु मुझे लमडल तक जाने का सही रास्ता मालूम नहीं था, बस इंटरनेट से एक चित्र लिया था, जिस पर ट्रैक का नक्शा बना था, जोकि धर्मशाला(हिमाचल प्रदेश) से आगे तरूड हो कर लमडल झील तक जाता था.......... और मुझे यह भी पता था कि एक और रास्ता धर्मशाला से करेरी गांव.... से भी शुरू हो कर करेरी झील से होते हुए, लमडल झील के लिए जाता हैं .............. जमी हुई करेरी झील तक पहुंचने की नाकामयाब कोशिश मैं और विशाल रतन जी 31दिसम्बर 2012 को कर चुके थे....... सो करेरी झील तक के ट्रैक की थोड़ी जानकारी होने से करेरी गांव तक पहुंचने का निश्चय कर चल दिए................
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गज पास(4470मीटर).....एक सीधी दीवार |
गूगल मैप से प्राप्त.... लमडल झील (3900मीटर) का चित्र, यह झील धौलाधार पर्वतमाला की सबसे बड़ी व लम्बी झील है.... |
भगवान शिव की पवित्र झील, लमडल झील (3900मीटर) की दोनों ऋतुओं की तस्वीरें... ( अगला भाग पढ़ने के लिए यहाँ स्पर्श करें ) |
आत्मविश्वास और डर के बीच जीत आत्मविश्वास की हुई..चलिए झील के लिए निकलते है
जवाब देंहटाएंजी हां प्रतीक जी... आपका सादर स्वागत है जी।
हटाएंलम्बे इंतजार के बाद एक बार फिर नई यात्रा बहुत ही बढ़िया नई जगह की जानकारी मिलेगी
जवाब देंहटाएंसुस्वागतम् लोकेन्द्र जी।
हटाएंबहुत बढ़िया। मेरा भी इस साल जून में जाना हुआ था गज जोत की यात्रा पर। बर्फ ज़्यादा होने की वजह से लम डल तक नहीं जाना हो पाया। अब अगले साल प्रस्तावित है।
जवाब देंहटाएंबेहद खूब मयंक जी, अगले वर्ष जरूर जाये जी।
हटाएंवाह पवित्र सरोवर के मनमोहक रूप दोनो ही बेजोड़👌
जवाब देंहटाएंचलिये शुरू कीजिए भोले का नाम लेकर हम आपके साथ है
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