हमारे देश के आखिरी छोर "कन्याकुमारी" से 13किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.... 9वी सदी में निर्मित "स्थानुमलयन सुचिन्द्रम् मंदिर " ...
इस अति सुन्दर मंदिर की मुख्य विशेषता है कि, यह एक मात्र मंदिर है... यहाँ ब्रह्मा, विष्णु व महेश (त्रिमूर्ति) को एक ही लिंग रुप में स्थापित किया गया है..........जब मैं इस मंदिर में पहुंचा, तो मंदिर प्रांगण में ही स्थापित भगवान हनुमान जी 18फुट ऊंची मूर्ति को पूरा ही मक्खन से अभिषेक किया हुआ था........ मेरी बदकिस्मती यह रही, कि पूर्ण जानकारी ना होने के कारण.... मैं इस भव्य मंदिर में स्थित "चार संगीतमय स्तंभों" को नही देख पाया, ये अपने-आप में अनोखे पत्थर स्तंभ... एक ही चट्टान से बने हुए हैं....जो कि प्राचीन भारतीय भवन निर्माण वास्तुकला की एक अनूठी उदाहरण है...... इन चारों स्तंभों से सितार, मृदंग, तंबूरे व जलतंरग के प्रकार ही अलग-अलग ध्वनि निकलती है, जो कि प्राचीन समय में इस मंदिर में होने वाली पूजा-अर्चना का एक अहम हिस्सा रहती रही होगी........ इस बात का ज्ञान मुझ संगीत प्रेमी को बहुत बाद में हुआ...... तो बस, मन मसोस कर रह गया........!!!
इस अति सुन्दर मंदिर की मुख्य विशेषता है कि, यह एक मात्र मंदिर है... यहाँ ब्रह्मा, विष्णु व महेश (त्रिमूर्ति) को एक ही लिंग रुप में स्थापित किया गया है..........जब मैं इस मंदिर में पहुंचा, तो मंदिर प्रांगण में ही स्थापित भगवान हनुमान जी 18फुट ऊंची मूर्ति को पूरा ही मक्खन से अभिषेक किया हुआ था........ मेरी बदकिस्मती यह रही, कि पूर्ण जानकारी ना होने के कारण.... मैं इस भव्य मंदिर में स्थित "चार संगीतमय स्तंभों" को नही देख पाया, ये अपने-आप में अनोखे पत्थर स्तंभ... एक ही चट्टान से बने हुए हैं....जो कि प्राचीन भारतीय भवन निर्माण वास्तुकला की एक अनूठी उदाहरण है...... इन चारों स्तंभों से सितार, मृदंग, तंबूरे व जलतंरग के प्रकार ही अलग-अलग ध्वनि निकलती है, जो कि प्राचीन समय में इस मंदिर में होने वाली पूजा-अर्चना का एक अहम हिस्सा रहती रही होगी........ इस बात का ज्ञान मुझ संगीत प्रेमी को बहुत बाद में हुआ...... तो बस, मन मसोस कर रह गया........!!!
Vikas Sab, I started loving this temple after I read your post here.
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