बुधवार, 15 मार्च 2017

दो सौ साल की मेहनत व सादे औजारों से पहाड को तराश कर निकला एक अद्भुत अजूबा..... कैलाशनाथ गुफा मंदिर, एलोरा(महाराष्ट्र)

कैलाशनाथ गुफा मंदिर...... एलोरा (महाराष्ट्र)
              कैलाशनाथ गुफा मंदिर, एलोरा की सौ से अधिक गुफाओ में से दखने योग्य 34गुफाओ में क्रमवार 16नम्बर गुफा है......... जो कि एक शिव मंदिर की अद्भुत इमारत हैं, जिसका  निर्माण ज्वालामुखी लावा के ठण्डे होने के बाद बने चट्टानी पहाड़ को ऊपर से नीचे काट कर तथा बाहर से अंदर गढा या तराशा गया .......दोस्तों, जैसा आप जानते हैं...कि किसी भी इमारत का निर्माण कार्य हमेशा जमीन यानि नींव से शुरू हो कर ऊपर की ओर जाता हैं,   पर कैलाशनाथ मंदिर का निर्माण पहाड़ के शिखर पर से शुरू हो कर नीचे की तरफ किया गया
               इस गुफा मंदिर के निर्माण का श्रेय मुख्यतः राष्ट्रकूट नरेश दंतिदुर्ग और कृष्ण प्रथम को जाता हैं..... कोई 200साल तक 10पीढ़ीयां इस मंदिर के निर्माण में जुटी रही......... मुख्यत: भगवान शिव को समर्पित इस गुफा मंदिर में बहुत सारे देवी देवताओं की मूर्तियों के अलावा, पुराण महाकाव्य दृश्य, पशु-पक्षी और मिथुन-गजराज मूर्तियाँ, बेल-बूटियां की कलाकारी तथा रामायण-महाभारत के दृश्य दिखाते मूर्ति चित्र बने हुए हैं और उस समय पूरे मंदिर को प्लास्टर व रंग भी किया गया, परन्तु समय की मार ने बहुत कुछ इस मंदिर से उतार दिया, कुछ निशान बचे हैं ..... जिन के चित्र आप चित्रों में देख सकते हैं .......मंदिर प्रांगण में विशाल गजराज की मूर्ति तथा कृति स्तम्भ राष्ट्रकूट राज्य के गौरवता को दर्शाते हैं
कैलाशनाथ गुफा मंदिर के प्रांगण में राष्टकूट राज्य के गौेरवशाली इतिहास को दरशाते कृति स्तम्भ व गजराज की विशाल मूर्ति.... 

                  मुख्य मंदिर का गर्भगृह बहुत ही साधारण ढंग से बनाया गया है, जिस में बहुत बड़े आकार का शिवलिंग स्थापित हैं ......और मंडप की छत पर नृत्य मग्न नटराज की मूर्ति बहुत शोभनीय हैं....  कितनी हैरानी की बात है मित्रों कि, आज से हजार साल पहले साधारण हथौड़ा-छेनी से कैसे इतने बड़े पहाड़ को तराश दिया कारीगरों ने..........हमारा देश भारत ऐसी अद्भुतता से भरा पड़ा है, मैं खुद एलोरा को देखने से पहले मिस्र के पिरामिड को संसार की आश्चर्यजनक इमारत समझता था, परन्तु इन एलोरा की गुफाओ को देखने के बाद मेरी सोच और पसंद बदल गई तथा मुझे अपने भारतीय होना का गौरव महसूस होता हैं....
कैलाशनाथ गुफा मंदिर ...कैसे साधारण औजारों से पहाड को चीर कर, राष्ट्रकूट नरेश की दस पीढ़ियों ने दौ सौ साल की मेहनत के बाद राष्ट्र को यह एक अद्भुत देन दी..... 
कैलाशनाथ गुफा मंदिर के प्रांगण में पहाड को भीतर तक तराश कर बनाया गया विशाल गलियारा... 
हैरान कर देने वाली बात कि सारे मंदिर को प्लास्टर व ऊपर रंगीन चित्रकारी भी की हुई थी.... जो काल की बलि चढ़ चुकी है... 
रामायण-महाभारत की घटनाओं को दर्शाते मूर्ति कथा चित्र... कैलाशनाथ गुफा मंदिर... 
कैलाशनाथ गुफा के सादे से गर्भगृह में स्थापित विशाल शिव लिंग.....और मैं
(1) " श्री खंड महादेव कैलाश की ओर "....यात्रा वृत्तांत की धारावाहिक चित्रकथा पढ़ने के लिए यहाँ स्पर्श करें।
(2) "पैदल यात्रा लमडल झील वाय गज पास "......यात्रा वृत्तांत की धारावाहिक चित्रकथा पढ़ने के लिए यहाँ स्पर्श करें।
(3) "चलो, चलते हैं सर्दियों में खीरगंगा ".....यात्रा वृतांत की धारावाहिक चित्रकथा पढ़ने के लिए यहाँ स्पर्श करें।
(4) करेरी झील, " मेरे पर्वतारोही बनने की कथा " ....यात्रा वृत्तांत की धारावाहिक चित्रकथा पढ़ने के लिए यहाँ स्पर्श करें।

5 टिप्‍पणियां:

  1. ये हमारी लापरवाही है, जो हमारी इतनी महत्वपूर्ण और अद्भुत शिल्प को महत्व ही नही दिए । बढ़िया लेकिन छोटी पोस्ट...

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    1. मुकेश जी, बेहद धन्यवाद... यह बहुत पहले लिखी हुई मेरी फेसबुक पोस्ट है जिसे मैने अपने ब्लॉग पर डाल दिया था।

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  2. इससे ज्यादा सुंदर तो मैंने कुछ देखा ही नहीं।

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  3. 200 साल तक 10 पीढियां इसके निर्माण में जुटी रही और इसका निर्माण शिखर से नींव की और हुआ बढ़िया जानकारी....सच कहा आपने भारत मे ऐसी बहुत सी जगह है जिन्हें देखकर महसूस होता है कि यह कितनी जबरदस्त है....

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