" ब्रह्मोती...... भगवान ब्रह्मा जी का मंदिर "
पुष्कर (राजस्थान) स्थित ब्रह्मा जी के एकमात्र मंदिर को कौन नहीं जानता, परन्तु मित्रों हमारे इलाके में भी एक बहुत प्राचीन ब्रह्मा जी का मंदिर हैं, नाम हैं "ब्रह्मोती मंदिर",गांव हंड़ोला, हिमाचल प्रदेश..... ये स्थान नंगल(पंजाब) से मात्र 5किलोमीटर की दूरी पर हैं।
|
ब्रह्मोती मंदिर का स्वागत द्वार। |
शिवालिक की पहाड़ियों से घिरा इलाका और मध्य में भाखड़ा बांध से निकला सतलुज दरिया का निर्मल जल, उसके किनारे बना यह सुन्दर स्थान बहुत ही रमणीक है,जो हर किसी के मन को मोह लेता है।
|
ब्रह्मोती मंदिर के घाट से लिया गया चित्र। |
इस प्राचीन मंदिर का इतिहास कुछ इस प्रकार है, कि ब्रह्मा जी द्वारा इस दिव्य स्थान पर चिरकाल तप करने के बाद जो तेज पुंज निकला, वह मां ज्वाला जी में परिवर्तित हो गया और ब्रह्मा जी व अन्य देवताओ ने दिव्य मंत्रों द्वारा मां ज्वाला जी की यहीं स्तुति की और बाद में इसी स्थान पर ब्रह्मा जी के पुत्र वशिष्ठ मुनि जी ने तप किया और यहीं वास करते हुए उन्हें सौ पुत्रों की प्राप्ति हुई।
|
ब्रह्मोती मंदिर का मोड़ और यह सड़क आगे एक गाँव जराद खाना तक जा कर बंद हो जाती है... क्योंकि आगे सीना ताने शिवालिक पर्वत श्रृंखला खड़ी है। |
राजर्षि विश्वामित्र जी, वशिष्ठ मुनि जी की ब्रह्मर्षि होने की उपाधि के कारण द्वेष भावना रखते थे, इसी द्वेष या रंजिश के कारण विश्वामित्र जी ने वशिष्ठ मुनि जी के सौ पुत्रों का वध इसी स्थान पर ही कर दिया था........विश्वामित्र जी को ब्रह्म हत्या का दोष लगा, पश्चाताप और ब्रह्म दोष के निवारण हेतू विश्वामित्र जी ने ब्रह्मा जी की तपस्या कर उन्हें प्रसन्न कर, साक्षात प्रकट किया और ब्रह्म हत्या दोष निवारण हेतू वर मांगने पर.... ब्रह्मा जी ने विश्वामित्र जी से कहा, राजन यहां पर आप यज्ञ का अनुष्ठान कराओ, मेरी तपस्थली होने के कारण मैं भी और देवताओ सहित यज्ञ में आहुतियां डाल कर तुम्हारे द्वारा वध किए अपने सौ पौत्रो का उद्घार करूंगा और मेरे स्वयं द्वारा आहुतियां डालने के कारण यह तीर्थ ब्रह्मोती के नाम से विख्यात होगा।
|
ब्रह्मोती मंदिर की तरह नीचे उतरती सीढ़ियाँ। |
|
ब्रह्मोती मंदिर का मुख्य द्वार... जिस में प्रवेश के बाद कई सारी सीढ़ियां उतर कर नीचे मंदिर प्रांगण में पहुंचा जाता है... |
|
हण्डोला गाँव में बना... ब्रह्मोती मंदिर का स्वागत द्वार। |
मुख्य मंदिर में ब्रह्मा जी, शिव जी और गंगा माता जी प्रतिष्ठित हैं....इस के अलावा मंदिर प्रांगण में श्री कृष्ण-राधा मंदिर, महापुरुषों की समाधियां और एक अखंड धूना भी है। इस स्थान के घाट को गंगा नदी के समान माना जाता हैं, इसलिए यहां अस्थि विसर्जन भी होता हैं और वैशाखी पर यहां घाट पर नहाना शुभ माना जाता है।
SUNDER
जवाब देंहटाएंबेहद धन्यवाद दत्ता जी।
हटाएंसच मे पुष्कर में यही कहा जाता है कि ब्रह्मा जी का एकमात्र मंदिर है....यह बिल्कुल नई जानकारी...
जवाब देंहटाएं